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Wednesday, June 17, 2015

संसार मे सबकुछ




संसार मे सबकुछ है , पर वह उन्ही के लिए सुरक्षित है जो निराश नहीं , वरण पुरुषार्थी है । जीवन की सार्थकता निराशा मे नहीं है , पुरुषार्थ से जुड़ने मे है । 

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