adsense code

Thursday, September 24, 2009

Fw: [GURUVANNI] भावनायें

 
----- Original Message -----
Sent: Sunday, September 20, 2009 11:15 AM
Subject: [GURUVANNI] भावनायें

सृष्टि का आधार है गृहस्त आश्रम और सुखी गृहस्त का आधार है प्रेम एवं सहानुभुति ! घर परिवार में मनुष्य को प्रेम -सहानुभूती चाहिए !भावनायें संबंधों को मजबूत करने में बहुत काम आती हैं , बच्चे के जीवन में माँ बाप के वात्सल्य के बिना बहुत कुछ अविकसित रह जाता है !जहां प्रेम है वहां समर्पण भी है !शादी के समय वर कन्या एक दुसरे को हार पहनाते हैं , अगर उस हार के अन्दर का धागा टूट जाए तो फूल बिखर जाते हैं ! जैसे वह हार नहीं रहता ऐसे ही गृहस्त जीवन प्रेम के धागे से बंधा रहता है और प्रेम टूट गया तो परिवार बिखर गया !घर परिवार में प्रेम नहीं तो व्यक्ति कितना ज्ञानी ,कितना ध्यानी और कितना ही बली और बहादुर क्यों न हो मिट जायेगा !

--
Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 9/19/2009 03:57:00 PM

Saturday, September 19, 2009

भूल - Mistake

भूल - Mistake

  • भूल होना मनुष्य की प्रकृति है ! भूल को भूल मानकर सुधार करना संस्कृति है ! भूल को भूल न मानना विकृति है जो की व्यक्ति को पतन की और ले जाती है !


--
Madan Gopal Garga द्वारा GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL के लिए 9/18/2009 05:34:00 PM को पोस्ट किया गया

Saturday, September 12, 2009

पारस मणी

पारस मणी



  • यदि आपने पात्रता सिद्ध करदी तो गुरु से सब कुछ ले सकते हो ! पारस मणि से भी कीमती हैं गुरु !



--
Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 9/10/2009 05:10:00 PM

Wednesday, September 2, 2009

मन की शान्ति के लिए (भाग -२) - Peace of Mind Part 2

मन की शान्ति के लिए (भाग -२) - Peace of Mind Part 2

  • अपनी इच्छायों को नियनत्रण में रखो !
  • क्रोध मत करो ,क्रोध आया भी हे तो बढ़ने मत दो ,पानी पी लो ,वह जगह छोड़ दो ,लंबे लंबे साँस लो !
  • हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करो !
  • भगवान ने जो दिया हे उसी में खुश रहो ,जो नहीं दिया उसके बारे में सोच कर दुःखी मत हो !
  • किसी की तरक्की देख कर दुःखी मत हो -जलो मत ,उस की तरह बनने की कोशिश करो !


--
Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 8/31/2009 12:17:00 PM